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Showing posts from February, 2018

ती-ती वित्त

सुनना

वापस जाओ

जुगनू

सुनो, सुनो

और गहरी हो रही है रात

वह नदी और जंगल मैंने नहीं देखा है

वे उतर रहे हैं

और बच्चे बेफिक्र होकर खेल रहे हैं