आदमी का जीवन:4

सैलून





वे दो थे। मैं उसकी भारी-भरकम आवाज सुनकर चौंका। वह मेरे ठीक बगल की कुर्सी पर आकर बैठ गया। रात आठ बजे थे। वह अपने बाल रंगाने आया था। सैलून बहुत छोटा था। सिर्फ तीन लोग एक साथ बैठ सकते थे। नाई उसका परिचित लगता था। वह कुर्सी से उठा और अपनी लेदर जैकेट उतार दी। फिर उसने अपनी पिस्तौल निकाली और जैकेट की भीतरी जेबों में डाल दिया। फिर दोनों बात करने लगे। कि वे कैसे वे फायरिंग करके अपनी बंदूके गंदे नालों में फेंक देते थे। एक बार तो बंदूक दगा दे गयी तो उसने बाइक से किसी को ठोकर मारी थी। दूसने ने कहा, लेकिन उसमें खतरा था, तुमको ऐसा नहीं करना था। तुम मौत के करीब से गुजर गए बस। वैसे बहुत बार बचे तुम, किस्मत है। उसकी भारी आवाज में अजीब से खरखराहट थी। नाई से उसने कहा तुमने मौत देखा है। नाई जवाब देता इससे पहले ही वह बोलने लगा, मैंने मौत का साक्षात्कार किया है। उस रोज मैं घेर लिया गया था। अगली पार्टी की तैयारी बहुत थी। मैंने कहा, आओ। आज साक्षात्कार करुँगा। यह कहकर उसने अपनी मूँछों की नोक पर हाथ फेरा। वह यूँ सीधे आयी और मेरी कनपटियों से गुजर गयी।। इस बीच उसका साथी चला गया। नाई से उसने कहा, राजनीति में चला गया है। इसका कोई भरोसा नहीं है। पैसा देकर तुम इसे नंगा नचा सकते हो। नाई ने कहा, दादा दाढ़ी की स्टाइल बदल लो, पुराना हो गया है। संजय दत्त की कट का रख लो। यह कहकर उसने अपने फोन की स्क्रीन उसे दिखाया। 'नहीं मूँछ मेरी भगत सिंह की तरह रहेगी और दाढ़ी शिवाजी की तरह।', कहकर वह कुर्सी से आगे की ओर झुका। और गर्दन घुमाकर अपनी कनपटी को बहुत ध्यान से देखने लगा। उसकी आवाज में गहरी उदासी थी, मेरा सपना ही अलग था। इस शहर के पानी ने मुझे खराब कर दिया। नाई ने कहा, दाढ़ी दिन में सेट करा लेना। उसकी भारी आवाज में अजीब सी घरघराहट थी, नहीं अभी कर दो। मैं इंतजार नहीं करता। इस बार पता नहीं कब लौटना हो। नाई ने उसकी दाढ़ी कुतरनी शुरु कर दी थी। आस-पास की दुकानों के शटर बंद हो रहे थे।

Comments

Popular Posts